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गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

बरुआसागर का ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन एवं यहां की प्रमुख समस्याएं

 


बरुआसागर नगर के लिए एक मोती की तरह स्थापित बरुआसागर नगर का प्राचीन रेलवे स्टेशन जो कि नगर को पूरे देश भर से जोड़ता है

 बात उस समय की है कि जब यातायात के साधन कम हुआ करते थे कम साधन होने के साथ-साथ झांसी जिले से बरुआसागर आने के लिए विशाल एवं प्राचीनतम बेतवा नदी को पार करना पड़ता था जिसके लिए प्रमुख रूप से पानी में चलने वाली नाव पर ही पूरी तरीके से लोगो को आश्रित होना पड़ता था क्योंकि पूरे देश के मध्य में पढ़ने वाला झांसी एवं उस समय यह मार्ग देश के प्रमुख नगर रहे इलाहाबाद को जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण था  इसलिए अंग्रेजी शासन काल में बेतवा पर एक रेलवे पुल का निर्माण  कराने की जरूरत समझी गई  जिससे अंग्रेज कालीन कंपनी को सैन्य एवं माल भाड़े में सुविधा होकर देश के महत्वपूर्ण भाग पर अपना प्रभुत्व जमा सकें इसीलिए अंग्रेजों ने बेतवा नदी पर महत्वपूर्ण रेलवे पुल बनाकर रेल मार्ग से झांसी को इलाहाबाद से जोड़ने का महत्वपूर्ण एवं दूरगामी दृष्टि कार्य किया जिससे बरुआसागर नगर को रेल यातायात का महत्वपूर्ण साधन प्राप्त हुआ पूर्व में बरुआसागर में विभिन्न प्रकार की माल गाड़ियों से सामान उतारा जाता था एवं यहां पर व्यापारियों द्वारा बड़े स्तर से रेलगाड़ी के माध्यम से व्यापार होता था इस रेलमार्ग से देश के प्रमुख देश आजाद कराने वाले नेताओं द्वारा यात्रा की एवं बरुआसागर स्टेशन पर  रुक रुक कर लोगों को संबोधित भी किया जिसमें देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रमुख रहे आजादी के बाद झांसी की स्थानीय सांसद डॉक्टर सुशीला नैयर द्वारा विशेष प्रयास से  बेतवा नदी पर सड़क यातायात पुल बनने के बाद नील यातायात से व्यापार बहुत हद तक कम हो चुका है वर्तमान बरुआसागर रेलवे स्टेशन का विकास आजादी के बाद जिस तरीके से होना चाहिए था वह शायद नहीं हो पाया क्योंकि बाद में इलाहाबाद को जोड़ने के लिए कानपुर एवं मानकपुर से देश के अन्य भागों जोड़ा गया जिस कारण इस मार्ग का महत्त्व थोड़ा कम हुआ यातायात के लिए प्रमुख गाड़ियां पूर्व में रुकती थी वह धीरे-धीरे कम हो गई वर्तमान में बुंदेलखंड एक्सप्रेस चंबल एक्सप्रेस जैसी प्रमुख देश की रेलगाड़ियां बरुआसागर स्टेशन पर रूकती हैं वर्तमान में झांसी मानिकपुर रेल मार्ग का विद्युतीकरण पूर्ण हो चुका है एवं भविष्य में रेल मार्ग का दोहरीकरण की प्रक्रिया फाइलों में चल रही है एवं बरुआसागर नगर में रेलवे स्टेशन की नवीन  बिल्डिंग का भी निर्माण हुआ है   बुंदेलखंड का यात्री झांसी बांदा  रेल मार्ग पर ज्यादातर झांसी से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों पर पूरी तरीके से निर्भर था वर्तमान समय में जब कोरोना महामारी  काल चल रहा है उस समय  जब रेल प्रशासन द्वारा इस रेल मार्ग पर चलने वाली लगभग सभी पैसेंजर गाड़ियां  बंद कर दी गई है एवं  प्रमुख गाड़ियों की टिकट प्रक्रिया चेंज करने के कारण लोग पूरी के तरीके से सड़क यातायात पर लोग निर्भर हैं लेकिन वर्तमान समय में झांसी से इलाहाबाद को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे  79 को विस्तार दिया जा रहा है जिससे इस मार्ग पर सड़क में अनेक गड्ढे एवं यातायात के लिए पूरी तरीके से खतरनाक हो गया है बुंदेलखंड का बड़ा भूभाग इसी रेल मार्ग एवं यातायात मार्ग से झांसी से देश के विभिन्न महानगरों को रोजगार एवं व्यापार के लिए जाता था नेशनल हाईवे  पूर्ण होने में अभी काफी समय है एवं वर्तमान सड़क की हालत बेहद ही जर्जर है कोरोना गाइडलाइंस के कारण कोरोना महामारी काल में अनेक यातायात के साधन लगभग बंद हो गए हैं सोशल डिस्टेंस से लेकर अनेक सरकारी गाइडलाइन के कारण यहां के गरीब एवं पिछड़े यात्रियों को बेहद आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं का सामना उठाना पड़ रहा है प्राइवेट वाहनों द्वारा लोगों के साथ मनमर्जी किराए के नाम पर  लूट  की जा रही है


वर्तमान में सरकार को संज्ञान लेने की जरूरत है इस लाइन पर अधिक सेेेेेे अधिक यात्री गाड़ियां  चलाई जाएं  एवं जब तक नेशनल हाईवे 79 कंप्लीट नहीं हो जाता तब तक रेलवे के विशेष पैसेंजर एवं मेमो   डीएमयू जैसी ट्रेनें चलाकर बुंदेलखंड के अति पिछड़े क्षेत्र के लोगों को राहत प्रदान करने की जरूरत है इस रूट पर कम ट्रेनें होने के कारण ट्रैफिक का भी ज्यादा लोड नहीं है स्थानीय लोगों की मांग है कि झांसी मानिकपुर रेल मार्ग पर अधिक से अधिक ट्रेनों को बढ़ाकर इस क्षेत्र के लोगों को राहत प्रदान करें



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