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मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
सोमवार, 21 दिसंबर 2020
विश्व प्रसिद्ध शक्ति पीठ तारा देवी मंदिर
झांसी मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरुआसागर के पास स्थित मध्य प्रदेश में निवाड़ी के सिनोनिया गांव में स्थित विश्व की प्रमुख शक्तिपीठ तारा देवी का मंदिर विशाल पर्वत के ऊपर स्थित है मां तारा देवी तंत्र मंत्र यंत्र की प्रमुख देवी मानी जाती हैं
देश में तारा देवी जी की शक्ति पीठ देश के कुछ स्थानोंं पर स्थित हैं तारा देवी मंदिर की ऊंचाई से ओरछा के रामराजा मंदिर एवं बेतवा नदी और वहांं के विशाल सागौन के जंगल स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं तारा देवी मंदिर के बारे में अनेक कहानियांं प्रचलित हैं उसमेंं से पूर्व समय मे सिनोनिया एवं भेलसा गावोंं के मध्य तारा माता का विशाल पर्वत मंदिर स्थित होने के कारण दोनों ही गांव मे माता की अधिक सेवा एवं अधिकार को लेकर काफी वाद विवाद हुआ सिनोनिया गांंव अघिक सम्पन्न होने के कारण माता को खीर का भोग लगाने की प्राथना करने लगे वही दूसरी ओर भेलसा गांंव के लोग गरीब होने के कारण माता से मठ्ठामहरी के भोग कराने की याचना करने लगेंं यकायक माता का चमत्कार हुआ और माता का मन्दिर विशाल पर्वत को चीरकर गरीब भेलसा गांव की ओर कट गया पर्वत के कटे हुए भाग से आज भी शेर के दहाड़ने की आबाज आती हैं
तारा माता के मन्दिर पर हर वर्ष गुरू पूर्णिमा के अवसर पर विशाल मेला एवं भंडारे का आयोजन किया जाता हैं तारादेवी माता मंदिर पर दूर दूर से भक्त मनोकामना की पूर्ति एवं माता के दर पर माथा ठेकने के लिए आते है
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
बरुआसागर का ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन एवं यहां की प्रमुख समस्याएं
बरुआसागर नगर के लिए एक मोती की तरह स्थापित बरुआसागर नगर का प्राचीन रेलवे स्टेशन जो कि नगर को पूरे देश भर से जोड़ता है
बात उस समय की है कि जब यातायात के साधन कम हुआ करते थे कम साधन होने के साथ-साथ झांसी जिले से बरुआसागर आने के लिए विशाल एवं प्राचीनतम बेतवा नदी को पार करना पड़ता था जिसके लिए प्रमुख रूप से पानी में चलने वाली नाव पर ही पूरी तरीके से लोगो को आश्रित होना पड़ता था क्योंकि पूरे देश के मध्य में पढ़ने वाला झांसी एवं उस समय यह मार्ग देश के प्रमुख नगर रहे इलाहाबाद को जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण था इसलिए अंग्रेजी शासन काल में बेतवा पर एक रेलवे पुल का निर्माण कराने की जरूरत समझी गई जिससे अंग्रेज कालीन कंपनी को सैन्य एवं माल भाड़े में सुविधा होकर देश के महत्वपूर्ण भाग पर अपना प्रभुत्व जमा सकें इसीलिए अंग्रेजों ने बेतवा नदी पर महत्वपूर्ण रेलवे पुल बनाकर रेल मार्ग से झांसी को इलाहाबाद से जोड़ने का महत्वपूर्ण एवं दूरगामी दृष्टि कार्य किया जिससे बरुआसागर नगर को रेल यातायात का महत्वपूर्ण साधन प्राप्त हुआ पूर्व में बरुआसागर में विभिन्न प्रकार की माल गाड़ियों से सामान उतारा जाता था एवं यहां पर व्यापारियों द्वारा बड़े स्तर से रेलगाड़ी के माध्यम से व्यापार होता था इस रेलमार्ग से देश के प्रमुख देश आजाद कराने वाले नेताओं द्वारा यात्रा की एवं बरुआसागर स्टेशन पर रुक रुक कर लोगों को संबोधित भी किया जिसमें देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रमुख रहे आजादी के बाद झांसी की स्थानीय सांसद डॉक्टर सुशीला नैयर द्वारा विशेष प्रयास से बेतवा नदी पर सड़क यातायात पुल बनने के बाद नील यातायात से व्यापार बहुत हद तक कम हो चुका है वर्तमान बरुआसागर रेलवे स्टेशन का विकास आजादी के बाद जिस तरीके से होना चाहिए था वह शायद नहीं हो पाया क्योंकि बाद में इलाहाबाद को जोड़ने के लिए कानपुर एवं मानकपुर से देश के अन्य भागों जोड़ा गया जिस कारण इस मार्ग का महत्त्व थोड़ा कम हुआ यातायात के लिए प्रमुख गाड़ियां पूर्व में रुकती थी वह धीरे-धीरे कम हो गई वर्तमान में बुंदेलखंड एक्सप्रेस चंबल एक्सप्रेस जैसी प्रमुख देश की रेलगाड़ियां बरुआसागर स्टेशन पर रूकती हैं वर्तमान में झांसी मानिकपुर रेल मार्ग का विद्युतीकरण पूर्ण हो चुका है एवं भविष्य में रेल मार्ग का दोहरीकरण की प्रक्रिया फाइलों में चल रही है एवं बरुआसागर नगर में रेलवे स्टेशन की नवीन बिल्डिंग का भी निर्माण हुआ है बुंदेलखंड का यात्री झांसी बांदा रेल मार्ग पर ज्यादातर झांसी से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों पर पूरी तरीके से निर्भर था वर्तमान समय में जब कोरोना महामारी काल चल रहा है उस समय जब रेल प्रशासन द्वारा इस रेल मार्ग पर चलने वाली लगभग सभी पैसेंजर गाड़ियां बंद कर दी गई है एवं प्रमुख गाड़ियों की टिकट प्रक्रिया चेंज करने के कारण लोग पूरी के तरीके से सड़क यातायात पर लोग निर्भर हैं लेकिन वर्तमान समय में झांसी से इलाहाबाद को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 79 को विस्तार दिया जा रहा है जिससे इस मार्ग पर सड़क में अनेक गड्ढे एवं यातायात के लिए पूरी तरीके से खतरनाक हो गया है बुंदेलखंड का बड़ा भूभाग इसी रेल मार्ग एवं यातायात मार्ग से झांसी से देश के विभिन्न महानगरों को रोजगार एवं व्यापार के लिए जाता था नेशनल हाईवे पूर्ण होने में अभी काफी समय है एवं वर्तमान सड़क की हालत बेहद ही जर्जर है कोरोना गाइडलाइंस के कारण कोरोना महामारी काल में अनेक यातायात के साधन लगभग बंद हो गए हैं सोशल डिस्टेंस से लेकर अनेक सरकारी गाइडलाइन के कारण यहां के गरीब एवं पिछड़े यात्रियों को बेहद आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं का सामना उठाना पड़ रहा है प्राइवेट वाहनों द्वारा लोगों के साथ मनमर्जी किराए के नाम पर लूट की जा रही है
वर्तमान में सरकार को संज्ञान लेने की जरूरत है इस लाइन पर अधिक सेेेेेे अधिक यात्री गाड़ियां चलाई जाएं एवं जब तक नेशनल हाईवे 79 कंप्लीट नहीं हो जाता तब तक रेलवे के विशेष पैसेंजर एवं मेमो डीएमयू जैसी ट्रेनें चलाकर बुंदेलखंड के अति पिछड़े क्षेत्र के लोगों को राहत प्रदान करने की जरूरत है इस रूट पर कम ट्रेनें होने के कारण ट्रैफिक का भी ज्यादा लोड नहीं है स्थानीय लोगों की मांग है कि झांसी मानिकपुर रेल मार्ग पर अधिक से अधिक ट्रेनों को बढ़ाकर इस क्षेत्र के लोगों को राहत प्रदान करें
बुधवार, 25 नवंबर 2020
बरुआसागर का 🔱मुकुट कैलाश पर्वत की यात्रा
👼बचपन की यादें
परिचय
आज मे बात कर रहा हू बुन्देलखण्ड के झांसी जिले के एतिहासिक आधयात्मिक व्यापारिक नगर बरुआ सागर के पूरब मे खडे पर्वत कैलाश की जो नगर को हमेशा साच्छात हिमालय के कैलाश पर्वत एवं उसी के समीप स्थित बरुआसागर झील मानसरोवर झील की अनुभूति कराती रहती हैं
मेरी पहली कैलाश पर्वत यात्रा यादे
बरुआ सागर नगर पर्वत की तलहटी में बसा होने के कारण दूर दूर से लगभग सभी घरों की छतों एवं मैदानो से पर्वत स्पष्ट दिखाई देता था और जब सुबह सुबह सूरज कैलाश से उदय होकर फैलाने वाली प्राकृतिक सुन्दरता हमेशा मन मे वहां पर पहुंच कर सब कुछ देखने की उत्सुखता हमेशा रहती थीं कि आखिर पर्वत के पीछे ऐसा क्या है जिससे यह सूरज निकलता हैं
आखिर मेरी उत्सुखता खत्म होने का समय आ गया वह था महाशिवरात्रि महापर्व जिस दिन कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले महात्मा जी के नेत्रत्व मे जन सहयोग से पूरे नगर मे शिव बारात निकाली जाती थीं जब शिव बारात मेरे घर से निकली उसमे मेरे साथ स्कूल मे पढने वाले कुछ बच्चे दिखाई दिये फिर क्या था हो लिया उनके साथ बारात समापन के समय सब लोगों की तरह पहली सीडी को छूकर सर पर लगाते हुए चढ गया उत्साहित होकर एक ओर डर था कि घर पर बिना बताये आया था पता चलने पिटाई पक्की थी पुछने पर कोई आने नही देता
जो होगा देखा जायेगा सोचकर चढ गया चोटी पर वहां का नजारा देख कर मन जोश एवं उत्साह से भर गया सबसे पहले मन हमेशा उठने वाले सबालो को शांत करने के लिये कैलाश पर्वत के पीछे के जेसे ही देखा देखते ही रह गया नीले पानी की विशाल झील उसी के साथ लगा
ऐतिहासिक किला एवं हरे भरे पेड़ पौधे व हरियाली झील के बीच टापू व दूसरी तरफ नगर के रंग विरंगे ऊचाई के कारण छोटे छोटे दिख रहे घर व लोग अलग ही दुनिया की अनुभूति करा रहे थे सच में वह जीवन का सुखद अनुभव हमेशा याद आता हैं
हम लोग बहुत ही भागयशाली है कि हमारा जन्म इस पावन धरा पर हुआ
जहा प्रकृति ने दिल खोलकर नदी तालाब पर्वत किला झील झरना नहरें जंगल बाग बागवानी के साथ शान्त एवं स्वस्थ जीवन जीने का आर्शीवाद व वरदान दिया
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